Posts

"सकल जीव जग दीन दुखारी"

Image
जयगुरुदेव निचले जामो की हालत तो अलग हैं, मनुष्य के जामे के बारे में अच्छी तरह विचार करके देख लें , कितने दुःख और कितनी मुसीबते हर रोज़ उठानी पड़ती है।  हालाँकि इस जामे को सृष्टि का सरताज (टॉप ऑफ दी क्रिएशन) कहते हैं, ऋषि-मुनि इसे नर नारायणी देह कह कर समझाते हैं, मुसलमान फ़कीर इसे अशरफुल-मख़लूक़ात कहकर याद करते हैं और देवी देवता भी इस जामे को तरसते हैं, लेकिन फिर भी इस जामे में बैठकर कोई भी सुख और शांति प्राप्त नही कर सकता । कोई बीमारी के हाथों दुःखी हो जाता हैं , कोई बेरोजगारी से तंग आ जाता हैं। किसी के संतान पैदा नही होती , वह दिन-रात तड़पता है, तो कइयों को बाल-बच्चों ने दुःखी कर रखा है। किसी को कर्ज चुकाना है , वह चिंता और फिक्र में सारी रात सो नही सकता, किसी को कर्ज़ा वसूल करना है , वह सारा दिन कचहरी में परेशान हो रहा है। हम सर्दी और गर्मी में रोज सड़को पर रोज कंगालों की हालत देखते हैं कि किस तरह पेट की खातिर वे चिल्ला रहे हैं। इसी तरह हस्पतालों में जाकर बीमारों की चीखें सुनते है कि किस प्रकार वह बेचारे दुःखी हो रहे हैं। जेलखानों में कैदियों की हालत देख कर पता चलता है कि वे कितना दुःख उठा र

बाबा जयगुरुदेव के अनमोल वचन

Image
                    जयगुरुदेव  1-मालिक के काम में कभी मत डरना बल्कि बुरे कामों से हमेसा डरते रहना चाहिए। 2-आगे मुसीबत आ रही है अगर तुम्हें कष्टों से बचना है तो शाकाहारी हो जाओ। 3-इस वक्त फकीरों महात्माओ की जरूरत है उनसे मिले वर्ना देश में त्राहिमाम-त्राहिमाम मच जाएगा। 4-बाहर क्या संघर्ष होता है जो मौत के वक्त जमदूत आत्मा से संघर्ष करते है। 5-भगवान का आदेश है कि बुराइयों को छोड़ो अपने गुनाहों की माफी मांगो वर्ना अब चारों तरफ त्राहिमाम मच जाएगा। 6-भगवान का खुदा का हुक्म हुआ है कि इंसानों को बता दो कि तुम हिंसा करोगे तो सख्त सजा मिलेगी। 7-जीवन में स्वांसों का अच्छा बुरा चक्र जब आता है तब मनुष्यों के कर्मो के कर्जे का लेन-देन होता है। 8-मनुष्य शरीर मे दोनो आँखों के पीछे बैठी हुई जीवात्मा में ब्रह्मा से सोलह गुना ज्यादा प्रकाश है

अपने अन्दर का ताला खोलो

Image
बाबा जयगुरुदेव जी द्वारा सुनाई गई कहानियां:-   एक राजा ने कबीर  साहिब जी से प्रार्थना की किः  "आप दया करके मुझे साँसारिक बन्धनों से छुड़ा दो।" तो कबीर जी ने कहाः  "आप तो हर रोज पंडित जी से कथा करवाते हो, सुनते भी हो...?" "हाँ जी महाराज जी ! कथा तो पंडित जी रोज़ सुनाते हैं,  विधि विधान भी बतलाते हैं, लेकिन अभी तक मुझे भगवान के दर्शन नहीं हुए ,आप ही कृपा करें।" कबीर साहिब जी बोले "अच्छा मैं कल कथा के वक्त आ जाऊँगा।" अगले दिन कबीर जी वहाँ पहुँच गये, जहाँ राजा पंडित जी से कथा सुन रहा था।  राजा उठकर श्रद्धा से खड़ा हो गया, तो कबीर जी  बोले-- "राजन ! अगर आपको प्रभु का दर्शन करना है तो आपको मेरी हर आज्ञा का पालन करना पड़ेगा।" "जी महाराज मैं आपका हर हुक्म  मानने को तैयार हूँ जी ! राजन अपने वजीर को हुक्म दो कि वो मेरी हर आज्ञा का पालन करे।" राजा ने वजीर को हुक्म दिया कि कबीर साहिब जी जैसा भी कहें, वैसा ही करना। कबीर जी ने वज़ीर को कहा कि एक खम्भे के साथ राजा को बाँध दो  और दूसरे खम्भे के साथ पंडित जी को बाँध दो। राजा ने तुरंत वजीर को इशारा

Jaigurudev

Image

स्वामी जी ने कहा:-

Image
                जयगुरुदेव एक आदमी मेरे पास आया और मुझसे कहने लगा कि एक पण्डित ने मुझको बताया है कि मैं मर जाऊँगा। मैंने उसको समझाया कि उसने कैसे कहा? अब तुम उसकी बात मानो तो मानो पर वह झूठ बोला क्योंकि अभी तो तुम रहोगे। मैंने उससे ये भी कहा है कि जब तुम मरोगे हम तुम्हारे पास रहेंगे। वह फिर बोला कि एक पण्डित ने कहा है कि अभी तुम बीस साल तक रहोगे। मैंने कहा कि तुम्हारी बात खत्म। तुम्हारा विश्वास खत्म, तुम उस पर विश्वास करो। कहने का ये कि जब तुमसे कुछ कहा जाता है तो तुम उसे काटकर अपनी बात करने लगते हो। तुम अपनी कमर में तो संसार बांधे रहते हो और कहते हो कि हम भजन करते हैं। अगर भजन करते होते तो तुम कुछ के कुछ हो जाते। वचनों को समझते। तुम्हें बस यह है कि परमार्थ मिले न मिले संसार मिल जाए। तुम अपने निशाने पर रहते हो। तुम उनके निशाने पर आ जाओ तो दया हो जाएगी क्योंकि वो तो दया के सागर हैं।

कुदरत की मार :-

Image
                जयगुरुदेव जब वहाँ मार पड़ेगी बच्चा! वहा तकलीफ तो बहुत हे एक सैकिण्ड भी आराम नहीं। तुमने अपना काम तो कुछ किया नही और दूसरों का बोझा लादते रहे और लाद करके अभी चले जा रहे हो। तेरे काम कोई आयेगा,कोई घर वाला कोई आयेगा,कोई रिश्तेदार ? अरे!धन दौलत कोई काम में आयगा, जब वहाँ मार पड़ेगी और वहाँ बन्द किया जायगा और तकलीफे यातनाए तरह तरह की तो वहाँ कोन आयेगा मदद के लिए? बस चले गए, अब पता नही कहा गए,ये छाया ले लेगा आपसे फिर रोते रहोगे । इस छाया में कोन हे? इसको जानने की जरूरत हे   ऐसे अनमोल शरीर को पाकर फिर तुम अपनी आत्मा को चौरासी की तरफ ले जा रहे हो ? परमार्थ की चाह नही हे ?

स्वामी जी ने कहा:-

Image
                   जयगुरूदेव तुम्हें घबड़ाने की जरुरत नही है ऊपर की चढ़ाई धीरे-धीरे होती है परन्तु ऊपर से नीचे गिरना क्षण भर में होता है काम में लिप्त होना ध्यान का एकाएक नीचे गिर जाना है।जब शब्द धुन प्रगट होगी।और नाम मे रस आने लगेगा तब काम गायब हो जायेगा।ध्यान को ऊपर उठाने का काम स्वयं ही वश में आ जाता है तुम अपनी साधना में लगे गुरु की मौज पर सब कुछ छोड़ दो।