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वचनों को सुनकर होश आना चाहिए !

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                               !! जयगुरुदेव !! हमने हाथ जोड़ लिया, कहा भजन कर लो | हम हाथ जोड़ने के अलावा कर ही क्या सकते हैं | अगर नहीं करते हो तो तुम्हारा दुर्भाग्य हैं, चौबीस घंटो मे मैंने अट्ठारह घंटे केवल साधना मे ही लगाए । बहुत ज़्यादा, अति से ज़्यादा मेहनत की । भजन करते समय संकल्प करो की मन को कही नहीं जाने देंगे । एकतरफ़ा होकर जब ध्यान - भजन मे बैठता हैं तो बाहर का पर्दा टूटता हैं । आप कहते हो भजन नहीं बनता, आपके मन मे शारीरिक धन की इच्छा भरी हुई हैं तो भजन कैसे बने ?  परमात्मा को प्राप्त करने की चाह ही नहीं हैं फिर भजन कैसे बनेगा ? संदेह मत करो, चल पड़ों । रास्ता सच्चा हैं । अनमोल श्वासों को इबादत मे गुज़ारो और भागो इस देश से, यह देश तो अपना परदेस हैं ।  शरीर तुम्हारा नहीं, सामान भी तुम्हारा नहीं । तुम व्यर्थ की चिंता करते हो, चिंता करो भजन की । जो भजन कर लोगे, वहीं साथ देगा । तुम लोग भजन में लगे रहो । जो होनी हैं, वह तो होगी ही । जो कुछ होता हैं, उसकी मर्ज़ी से होता हैं , रोका नहीं जा सकता । जो मलिक करेगा, अच्छा करेगा । जो चीज़ें बिगड़ने वाली हैं, बिगड़ेंगीं, तुम उसके पीछे क्

सतगुरु तेरा शुक्रराना

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                                   जयगुरुदेव                               _______________________________ एक सत्संगी था ... उसका भगवान पर बहुत विश्वास था वो बहुत साधना, सिमरन करता था सत्संग पे जाता था, सेवा करता था, उस पर गुरु जी की इतनी कृपा थी कि उसको साधना पर बैठते ही ध्यान लग जाता था। एक दिन उसके घर तीन डाकू आ गए और उसके घर का काफी सामान लूट लिया और जब जाने लगे तो सोचा कि मार देना चाहिए नहीं तो ये सबको हमारे बारे में बता देगा ये सुनकर वो सत्संगी घबरा गया और बोला तुम मेरे घर का सारा सामान नकदी, जेवर, ... सब कुछ ले जाओ लेकिन मुझे मत मारो। उन लूटेरो ने उसकी एक ना सुनी और बन्दूक उसके सर पर रख दी, सत्संगी बहुत रोया गिड़-गिड़ाया कि मुझे मत मारो, लेकिन लुटेरे नहीं मान रहे थे, तभी सत्संगी ने उनसे कहा कि मेरी आखिरी इच्छा पूरी कर दो, लुटेरो ने कहा ठीक है। सत्संगी फ़ौरन कुछ देर के लिए ध्यान पर बैठ गया।  उसने अपने गुरु को याद किया और थोड़ी ही देर में गुरु जी ने उसे दर्शन दिए और दिखाया कि पिछले तीन जन्मो में तुमने इन लुटेरो को एक एक करके मारा था आज वो तीनो एक साथ तुम्हे मरने आये है और मैं चाहता हू

बाबा जयगुरुदेव जी की भविष्यवणियां

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*🙇🏻जयगुरुदेव नाम प्रभु का🙇🏻* (मालिक की एक एक बात एक एक भविष्यवाणी को ध्यान से पढ़े और भजन में जुट जाये सम्भल जाये) स्वामीजी ने कहा... 1)जब मुसीबत आएगी तो भजन ढाल का काम करेगा आगे मुसीबतों की आंधी चलने वाली है। 2) आगे तकलीफ़ बहुत आ रही है। ध्यान भजन में इबादत में अधिक से अधिक वक्त दो रास्ता कट जायेगा ख़राब समय पार हो जायेगा। 3)समय बहुत ख़राब आ रहा है। अमेरिका भी रोयेगा, चीन भी रोयेगा, इंग्लैंड भी रोयेगा। भारत और अरब देश भी सबके सब रोयेंगे। यह चण्डी मशाल लेकर घूम रही है। विश्व के सभी देशों में जायेगी। कोई मुल्क छोड़ेगी नहीं। 4)आगे तकलीफे बहुत आएगी। बचने का एक ही उपाय है की भजन करो। भजन ही रक्षा करेगा। 5)यदि विश्व के सभी राष्ट्र एक साथ मिलकर अपने अणु शस्त्रो से भारत पर हमला करे तो भी वे जीत नहीं पायेंगे। उस वक्त चमत्कार होगा। भारत विश्व का सिरमौर बनेगा। 6)आगे का समय बहुत ही ख़राब आ रहा है। वक्त का बहुत ही नाजुक दौर होगा। मुल्कों के टकराव से जमहूरियत का भारी नुकसान होगा। 7)मौजूदा वक्त को होशियारी से समझदारी से गुजारो। जरा सा भी इधर उधर कर दिया फिर तो मुसीबत ही मुसीबत है। 8)मैं संकेत दे रहा ह

आवेश (क्रोध) में, अपनी शक्ति व्यर्थ नहीं करनी चाहिए।

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जयगुरुदेव महाभारत के एक प्रसंग में आता हैँ कि एक बार श्रीकृष्ण, बलराम और सात्यकि यात्रा के दौरान शाम हो जाने के कारण एक भयानक वन में रात्रि विश्राम के लिये ये निश्चय करके रुके कि दो-दो घंटे के लिए बारी-बारी से पहरा देंगे । उस जंगल में एक बहुत भयानक राक्षस रहता था, जब सात्यकि पहरा दे रहा था जो उस राक्षस ने उसे छेड़ा, भला-बुरा कहा, उनका युद्ध हुआ, वो पराजित होकर जान बचाकर बलराम जी के पास आ कर छुप गया । बलराम जी को भी राक्षस ने बहुत उकसाया, उनके साथ भी युद्ध हुआ, बलराम जी ने देखा कि राक्षस की शक्ति तो बढ़ती ही जा रही हैँ तब उन्होंने श्रीकृष्ण को जगाया । राक्षस ने उन्हें भी छेड़ा, अपशब्द कहे, उकसाया । तब श्रीकृष्ण ने राक्षस को कहा की तुम बहुत भले आदमी हो, तुम्हारे जैसे दोस्त के साथ रात अच्छे से कट जायेगी । तब राक्षस ने हंसकर पूछा, मै तुम्हारा दोस्त कैसे ? श्रीकृष्ण बोले-भाई तुम अपना काम छोड़कर मेरा सहयोग करने आये हो, तुम सोच रहे हो मुझे कही आलस्य न आ जाय, इसलिए हंसी-मजाक करने आ गये । राक्षस ने उन्हें बहुत छेड़ने, उकसाने की कोशिश की, लेकिन वो हँसते ही रहे । परिणाम यह हुआ कि राक्षस की ताकत घ

"सकल जीव जग दीन दुखारी"

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जयगुरुदेव निचले जामो की हालत तो अलग हैं, मनुष्य के जामे के बारे में अच्छी तरह विचार करके देख लें , कितने दुःख और कितनी मुसीबते हर रोज़ उठानी पड़ती है।  हालाँकि इस जामे को सृष्टि का सरताज (टॉप ऑफ दी क्रिएशन) कहते हैं, ऋषि-मुनि इसे नर नारायणी देह कह कर समझाते हैं, मुसलमान फ़कीर इसे अशरफुल-मख़लूक़ात कहकर याद करते हैं और देवी देवता भी इस जामे को तरसते हैं, लेकिन फिर भी इस जामे में बैठकर कोई भी सुख और शांति प्राप्त नही कर सकता । कोई बीमारी के हाथों दुःखी हो जाता हैं , कोई बेरोजगारी से तंग आ जाता हैं। किसी के संतान पैदा नही होती , वह दिन-रात तड़पता है, तो कइयों को बाल-बच्चों ने दुःखी कर रखा है। किसी को कर्ज चुकाना है , वह चिंता और फिक्र में सारी रात सो नही सकता, किसी को कर्ज़ा वसूल करना है , वह सारा दिन कचहरी में परेशान हो रहा है। हम सर्दी और गर्मी में रोज सड़को पर रोज कंगालों की हालत देखते हैं कि किस तरह पेट की खातिर वे चिल्ला रहे हैं। इसी तरह हस्पतालों में जाकर बीमारों की चीखें सुनते है कि किस प्रकार वह बेचारे दुःखी हो रहे हैं। जेलखानों में कैदियों की हालत देख कर पता चलता है कि वे कितना दुःख उठा र

बाबा जयगुरुदेव के अनमोल वचन

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                    जयगुरुदेव  1-मालिक के काम में कभी मत डरना बल्कि बुरे कामों से हमेसा डरते रहना चाहिए। 2-आगे मुसीबत आ रही है अगर तुम्हें कष्टों से बचना है तो शाकाहारी हो जाओ। 3-इस वक्त फकीरों महात्माओ की जरूरत है उनसे मिले वर्ना देश में त्राहिमाम-त्राहिमाम मच जाएगा। 4-बाहर क्या संघर्ष होता है जो मौत के वक्त जमदूत आत्मा से संघर्ष करते है। 5-भगवान का आदेश है कि बुराइयों को छोड़ो अपने गुनाहों की माफी मांगो वर्ना अब चारों तरफ त्राहिमाम मच जाएगा। 6-भगवान का खुदा का हुक्म हुआ है कि इंसानों को बता दो कि तुम हिंसा करोगे तो सख्त सजा मिलेगी। 7-जीवन में स्वांसों का अच्छा बुरा चक्र जब आता है तब मनुष्यों के कर्मो के कर्जे का लेन-देन होता है। 8-मनुष्य शरीर मे दोनो आँखों के पीछे बैठी हुई जीवात्मा में ब्रह्मा से सोलह गुना ज्यादा प्रकाश है

अपने अन्दर का ताला खोलो

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बाबा जयगुरुदेव जी द्वारा सुनाई गई कहानियां:-   एक राजा ने कबीर  साहिब जी से प्रार्थना की किः  "आप दया करके मुझे साँसारिक बन्धनों से छुड़ा दो।" तो कबीर जी ने कहाः  "आप तो हर रोज पंडित जी से कथा करवाते हो, सुनते भी हो...?" "हाँ जी महाराज जी ! कथा तो पंडित जी रोज़ सुनाते हैं,  विधि विधान भी बतलाते हैं, लेकिन अभी तक मुझे भगवान के दर्शन नहीं हुए ,आप ही कृपा करें।" कबीर साहिब जी बोले "अच्छा मैं कल कथा के वक्त आ जाऊँगा।" अगले दिन कबीर जी वहाँ पहुँच गये, जहाँ राजा पंडित जी से कथा सुन रहा था।  राजा उठकर श्रद्धा से खड़ा हो गया, तो कबीर जी  बोले-- "राजन ! अगर आपको प्रभु का दर्शन करना है तो आपको मेरी हर आज्ञा का पालन करना पड़ेगा।" "जी महाराज मैं आपका हर हुक्म  मानने को तैयार हूँ जी ! राजन अपने वजीर को हुक्म दो कि वो मेरी हर आज्ञा का पालन करे।" राजा ने वजीर को हुक्म दिया कि कबीर साहिब जी जैसा भी कहें, वैसा ही करना। कबीर जी ने वज़ीर को कहा कि एक खम्भे के साथ राजा को बाँध दो  और दूसरे खम्भे के साथ पंडित जी को बाँध दो। राजा ने तुरंत वजीर को इशारा

स्वामी जी ने कहा:-

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                जयगुरुदेव एक आदमी मेरे पास आया और मुझसे कहने लगा कि एक पण्डित ने मुझको बताया है कि मैं मर जाऊँगा। मैंने उसको समझाया कि उसने कैसे कहा? अब तुम उसकी बात मानो तो मानो पर वह झूठ बोला क्योंकि अभी तो तुम रहोगे। मैंने उससे ये भी कहा है कि जब तुम मरोगे हम तुम्हारे पास रहेंगे। वह फिर बोला कि एक पण्डित ने कहा है कि अभी तुम बीस साल तक रहोगे। मैंने कहा कि तुम्हारी बात खत्म। तुम्हारा विश्वास खत्म, तुम उस पर विश्वास करो। कहने का ये कि जब तुमसे कुछ कहा जाता है तो तुम उसे काटकर अपनी बात करने लगते हो। तुम अपनी कमर में तो संसार बांधे रहते हो और कहते हो कि हम भजन करते हैं। अगर भजन करते होते तो तुम कुछ के कुछ हो जाते। वचनों को समझते। तुम्हें बस यह है कि परमार्थ मिले न मिले संसार मिल जाए। तुम अपने निशाने पर रहते हो। तुम उनके निशाने पर आ जाओ तो दया हो जाएगी क्योंकि वो तो दया के सागर हैं।

कुदरत की मार :-

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                जयगुरुदेव जब वहाँ मार पड़ेगी बच्चा! वहा तकलीफ तो बहुत हे एक सैकिण्ड भी आराम नहीं। तुमने अपना काम तो कुछ किया नही और दूसरों का बोझा लादते रहे और लाद करके अभी चले जा रहे हो। तेरे काम कोई आयेगा,कोई घर वाला कोई आयेगा,कोई रिश्तेदार ? अरे!धन दौलत कोई काम में आयगा, जब वहाँ मार पड़ेगी और वहाँ बन्द किया जायगा और तकलीफे यातनाए तरह तरह की तो वहाँ कोन आयेगा मदद के लिए? बस चले गए, अब पता नही कहा गए,ये छाया ले लेगा आपसे फिर रोते रहोगे । इस छाया में कोन हे? इसको जानने की जरूरत हे   ऐसे अनमोल शरीर को पाकर फिर तुम अपनी आत्मा को चौरासी की तरफ ले जा रहे हो ? परमार्थ की चाह नही हे ?

स्वामी जी ने कहा:-

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                   जयगुरूदेव तुम्हें घबड़ाने की जरुरत नही है ऊपर की चढ़ाई धीरे-धीरे होती है परन्तु ऊपर से नीचे गिरना क्षण भर में होता है काम में लिप्त होना ध्यान का एकाएक नीचे गिर जाना है।जब शब्द धुन प्रगट होगी।और नाम मे रस आने लगेगा तब काम गायब हो जायेगा।ध्यान को ऊपर उठाने का काम स्वयं ही वश में आ जाता है तुम अपनी साधना में लगे गुरु की मौज पर सब कुछ छोड़ दो।