Posts

Showing posts with the label Sachhi_kahani

वचनों को सुनकर होश आना चाहिए !

Image
                               !! जयगुरुदेव !! हमने हाथ जोड़ लिया, कहा भजन कर लो | हम हाथ जोड़ने के अलावा कर ही क्या सकते हैं | अगर नहीं करते हो तो तुम्हारा दुर्भाग्य हैं, चौबीस घंटो मे मैंने अट्ठारह घंटे केवल साधना मे ही लगाए । बहुत ज़्यादा, अति से ज़्यादा मेहनत की । भजन करते समय संकल्प करो की मन को कही नहीं जाने देंगे । एकतरफ़ा होकर जब ध्यान - भजन मे बैठता हैं तो बाहर का पर्दा टूटता हैं । आप कहते हो भजन नहीं बनता, आपके मन मे शारीरिक धन की इच्छा भरी हुई हैं तो भजन कैसे बने ?  परमात्मा को प्राप्त करने की चाह ही नहीं हैं फिर भजन कैसे बनेगा ? संदेह मत करो, चल पड़ों । रास्ता सच्चा हैं । अनमोल श्वासों को इबादत मे गुज़ारो और भागो इस देश से, यह देश तो अपना परदेस हैं ।  शरीर तुम्हारा नहीं, सामान भी तुम्हारा नहीं । तुम व्यर्थ की चिंता करते हो, चिंता करो भजन की । जो भजन कर लोगे, वहीं साथ देगा । तुम लोग भजन में लगे रहो । जो होनी हैं, वह तो होगी ही । जो कुछ होता हैं, उसकी मर्ज़ी से होता हैं , रोका नहीं जा सकता । जो मलिक करेगा, अच्छा करेगा । जो चीज़ें बिगड़ने वाली हैं, बिगड़ेंगीं, तुम उसके पीछे क्

सतगुरु तेरा शुक्रराना

Image
                                   जयगुरुदेव                               _______________________________ एक सत्संगी था ... उसका भगवान पर बहुत विश्वास था वो बहुत साधना, सिमरन करता था सत्संग पे जाता था, सेवा करता था, उस पर गुरु जी की इतनी कृपा थी कि उसको साधना पर बैठते ही ध्यान लग जाता था। एक दिन उसके घर तीन डाकू आ गए और उसके घर का काफी सामान लूट लिया और जब जाने लगे तो सोचा कि मार देना चाहिए नहीं तो ये सबको हमारे बारे में बता देगा ये सुनकर वो सत्संगी घबरा गया और बोला तुम मेरे घर का सारा सामान नकदी, जेवर, ... सब कुछ ले जाओ लेकिन मुझे मत मारो। उन लूटेरो ने उसकी एक ना सुनी और बन्दूक उसके सर पर रख दी, सत्संगी बहुत रोया गिड़-गिड़ाया कि मुझे मत मारो, लेकिन लुटेरे नहीं मान रहे थे, तभी सत्संगी ने उनसे कहा कि मेरी आखिरी इच्छा पूरी कर दो, लुटेरो ने कहा ठीक है। सत्संगी फ़ौरन कुछ देर के लिए ध्यान पर बैठ गया।  उसने अपने गुरु को याद किया और थोड़ी ही देर में गुरु जी ने उसे दर्शन दिए और दिखाया कि पिछले तीन जन्मो में तुमने इन लुटेरो को एक एक करके मारा था आज वो तीनो एक साथ तुम्हे मरने आये है और मैं चाहता हू

एक_सच्ची_कहानी

Image
                                !! जयगुरुदेव !!                                                  एक_सच्ची_कहानी रमेश चंद्र शर्मा, जो पंजाब के 'खन्ना' नामक शहर में एक मेडिकल स्टोर चलाते थे, उन्होंने अपने जीवन का एक पृष्ठ खोल कर सुनाया जो पाठकों की आँखें भी खोल सकता है और शायद उस पाप से, जिस में वह भागीदार बना, उस से भी बचा सकता है। रमेश चंद्र शर्मा का पंजाब के 'खन्ना' नामक शहर में एक मेडिकल स्टोर था जो कि अपने स्थान के कारण काफी पुराना और अच्छी स्थिति में था। लेकिन जैसे कि कहा जाता है कि धन एक व्यक्ति के दिमाग को भ्रष्ट कर देता है और यही बात रमेश चंद्र जी के साथ भी घटित हुई। रमेश जी बताते हैं कि मेरा मेडिकल स्टोर बहुत अच्छी तरह से चलता था और मेरी आर्थिक स्थिति भी बहुत  वर्ष 2008 में, गर्मी के दिनों में एक बूढ़ा व्यक्ति मेरे स्टोर में आया। उसने मुझे डॉक्टर की पर्ची दी। मैंने दवा पढ़ी और उसे निकाल लिया। उस दवा का बिल 560 रुपये बन गया। लेकिन बूढ़ा सोच रहा था। उसने अपनी सारी जेब खाली कर दी लेकिन उसके पास कुल 180 रुपये थे। मैं उस समय बहुत गुस्से में था क्योंकि मुझे काफी समय ल