कुदरत की मार :-
जयगुरुदेव
जब वहाँ मार पड़ेगी
बच्चा! वहा तकलीफ तो बहुत हे एक सैकिण्ड भी आराम नहीं। तुमने अपना काम तो कुछ किया नही और दूसरों का बोझा लादते रहे और लाद करके अभी चले जा रहे हो। तेरे काम कोई आयेगा,कोई घर वाला कोई आयेगा,कोई रिश्तेदार ? अरे!धन दौलत कोई काम में आयगा,
जब वहाँ मार पड़ेगी और वहाँ बन्द किया जायगा और तकलीफे यातनाए तरह तरह की तो वहाँ कोन आयेगा मदद के लिए? बस चले गए, अब पता नही कहा गए,ये छाया ले लेगा आपसे फिर रोते रहोगे । इस छाया में कोन हे? इसको जानने की जरूरत हे ऐसे अनमोल शरीर को पाकर फिर तुम अपनी आत्मा को चौरासी की तरफ ले जा रहे हो ? परमार्थ की चाह नही हे ?
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