!! जयगुरुदेव !! हमने हाथ जोड़ लिया, कहा भजन कर लो | हम हाथ जोड़ने के अलावा कर ही क्या सकते हैं | अगर नहीं करते हो तो तुम्हारा दुर्भाग्य हैं, चौबीस घंटो मे मैंने अट्ठारह घंटे केवल साधना मे ही लगाए । बहुत ज़्यादा, अति से ज़्यादा मेहनत की । भजन करते समय संकल्प करो की मन को कही नहीं जाने देंगे । एकतरफ़ा होकर जब ध्यान - भजन मे बैठता हैं तो बाहर का पर्दा टूटता हैं । आप कहते हो भजन नहीं बनता, आपके मन मे शारीरिक धन की इच्छा भरी हुई हैं तो भजन कैसे बने ? परमात्मा को प्राप्त करने की चाह ही नहीं हैं फिर भजन कैसे बनेगा ? संदेह मत करो, चल पड़ों । रास्ता सच्चा हैं । अनमोल श्वासों को इबादत मे गुज़ारो और भागो इस देश से, यह देश तो अपना परदेस हैं । शरीर तुम्हारा नहीं, सामान भी तुम्हारा नहीं । तुम व्यर्थ की चिंता करते हो, चिंता करो भजन की । जो भजन कर लोगे, वहीं साथ देगा । तुम लोग भजन में लगे रहो । जो होनी हैं, वह तो होगी ही । जो कुछ होता हैं, उसकी मर्ज़ी से होता हैं , रोका नहीं जा सकता । जो मलिक करेगा, अच्छा करेगा । जो चीज़ें बिगड़ने वाली हैं, बिगड़ेंगीं, तुम उसके पीछे क्
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